निरजला एकादशी व्रत कैसे करें? पूरी विधि और महत्व:

निरजला एकादशी हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। इस दिन व्रत भोजन और जल दोनों का त्याग करते हैं, इसलिए इसे ‘निरजला’ यानी बिना जल के एकादशी कहा जाता है।
इस व्रत का पालन करने से पूरे वर्ष के 24 एकादशी व्रतों का फल माना जाता है।

निरजला एकादशी का महत्व (Importance of Nirjala Ekadashi)

निरजला एकादशी की कथा और महत्त्व पुराणों में विस्तृत रूप से वर्णित है। इस व्रत को रखने से पापों का नाश होता है, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत मुख्यतः ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है।भगवान विष्णु के भक्त इस दिन शरीर और मन को शुद्ध करते हुए संयम, तपस्या और श्रद्धा से व्रत करते हैं। निरजला एकादशी की खास बात यह है कि इस दिन व्रती भोजन और जल दोनों का त्याग करते हैं, जिससे शरीर की सभी असूयाएं और दोष दूर हो जाते हैं।

निरजला एकादशी कब मनाई जाती है? (Nirjala Ekadashi Date)

निरजला एकादशी ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। साल 2025 तारीख़ 6 जून 2O25 में यह इसबार शुक्रवार को भक्तो ओर पारण करना हे 7 जून 2025 यानी अगले दिन दोपहर 1:45 मिनिट से लेकर 4:30 मिनिट बजे तक का समय हे।

निरजला एकादशी व्रत करने की विधि (Step-by-Step Nirjala Ekadashi Vrat Vidhi)

  1. संकल्प लें: एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले शुद्ध स्थान पर बैठकर व्रत का संकल्प लें।
  2. स्नान करें: शुद्ध जल से स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
  3. पूजा सामग्री तैयार करें: तुलसी, फूल, दीपक, अगरबत्ती, अक्षत (चावल), फल, नारियल, पंचामृत आदि।
  4. भगवान विष्णु की पूजा: विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करें और शास्त्रीय मंत्रों का जाप करें।
  5. भोजन और जल का त्याग: इस व्रत में पूरे दिन भोजन और जल का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रती निरजला व्रत के कारण पूर्ण तपस्वी माने जाते हैं।
  6. भजन और ध्यान: दिन भर भगवान विष्णु के भजनों का संकीर्तन करें और मन को शुद्ध रखें।
  7. परायण और कथा: निरजला एकादशी की कथा और भगवान विष्णु की स्तुति का पाठ करें।
  8. तुलसी को जल न चढ़ाये: ध्यान रहे माँ तुलसी को जल चढ़ाना वर्जित हे | उस दिन तुलसी मैया भी व्रत रखती हे |

व्रत खोलने का सही समय और विधि (Breaking Nirjala Ekadashi Vrat)

एकादशी तिथि समाप्त होने के बाद द्वादशी की तिथि शुरू होने पर फलाहार करें। ध्यान रखें कि व्रत खोलते समय हल्का सा फलाहार करे और बाद में भोजन करे | संयम और शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।

निरजला एकादशी व्रत के लाभ (Benefits of Nirjala Ekadashi Vrat)

  • सभी 24 एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है।
  • शरीर का विषाक्त पदार्थ निकल जाता है।
  • मन की शुद्धि और मानसिक शांति मिलती है।
  • भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति में सहायता मिलती है।

निरजला एकादशी पर ध्यान रखने योग्य बातें (Important Tips for Nirjala Ekadashi)

  • व्रत के दिन संयम और शुद्धता का पालन करें।
  • घर में शांति और पवित्रता बनाए रखें।
  • भजन-कीर्तन और ध्यान करें, जिससे मन भगवान में स्थिर रहे।
  • यदि स्वास्थ्य समस्या हो तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
  • निरजला एकादशी को ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत पुण्यदायक होता है।

निरजला एकादशी से जुड़ी लोकप्रिय पूछताछ (FAQs)

प्रश्न 1: क्या निरजला एकादशी में पानी पीना भी वर्जित है?
उत्तर: हाँ, इस व्रत में भोजन के साथ-साथ जल भी नहीं पीना चाहिए।

प्रश्न 2: अगर निरजला व्रत करना संभव न हो तो क्या करें?
उत्तर: ऐसी स्थिति में अन्य एकादशी व्रत कर सकते हैं, या उसदिन आप ने व्रत रखा और किसी कारण वर्ष कुछ आपत्ति हुयी तो हल्का फलाहार ले सकते हे |

प्रश्न 3: निरजला एकादशी व्रत कब समाप्त होता है?
उत्तर: द्वादशी की तिथि प्रारंभ होते ही व्रत समाप्त माना जाता है।

वेदपुराणसार.कॉम (vedpuransar.com)

निरजला एकादशी व्रत धार्मिक आस्था और मनोबल का प्रतीक है। यह व्रत कठिन जरूर है, लेकिन इसका फल अमूल्य है। पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ यह व्रत करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में खुशहाली आती है।

अगर आप भी इस बार निरजला एकादशी का व्रत रखने जा रहे हैं, तो इस पोस्ट को शेयर करें और अपने दोस्तों और परिवार के साथ भी यह आध्यात्मिक ज्ञान बांटें। हमें कोमेंट में अवश्य बताये। क्या आप ये व्रत रखने वाले हे? । vedpuransar.com

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